Cheetah Man एम.के. रंजीतसिंह: जिसने हमें सिखाया, इंसान वही जो धरती का रखवाला बने
- August 8, 2025
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“कभी किसी ने जंगलों को बचाने के लिए अपना राजपाट छोड़ा है?” अगर यह सवाल किसी पर खरा उतरता है — तो वह हैं एम.के. रंजीतसिंह, भारत के
“कभी किसी ने जंगलों को बचाने के लिए अपना राजपाट छोड़ा है?” अगर यह सवाल किसी पर खरा उतरता है — तो वह हैं एम.के. रंजीतसिंह, भारत के
“कभी किसी ने जंगलों को बचाने के लिए अपना राजपाट छोड़ा है?”
अगर यह सवाल किसी पर खरा उतरता है — तो वह हैं एम.के. रंजीतसिंह, भारत के ‘Cheetah Man’।
उनकी कहानी सिर्फ इतिहास नहीं,
MP Jungle Safari जैसे प्रयासों की प्रेरणा है —
जहाँ हर सफ़ारी सिर्फ एक ट्रिप नहीं, बल्कि जंगलों से जुड़ाव की यात्रा होती है।
रंजीतसिंह एक ऐसे दौर में पैदा हुए जहाँ जंगलों को सिर्फ संसाधन माना जाता था।
लेकिन उन्होंने जंगलों को जीव माना।
जहाँ लोग जंगल से लेने में व्यस्त थे, वो जंगल को देने में लगे थे।
“जब इंसान जंगलों से रिश्ता तोड़ लेता है,
तो वो खुद अपने भविष्य से रिश्ता तोड़ लेता है।”
रंजीतसिंह ने भारत के लिए बनाया –
Wildlife Protection Act, 1972
आज जो मध्यप्रदेश के कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, सतपुड़ा जैसे जंगलों में
बाघ, बारहसिंगा, तेंदुआ और अब चीते निडर होकर घूमते हैं —
वो इसी कानून की छाया में संभव है।
और MP Jungle Safari इन जंगलों की उसी विरासत को सुरक्षित और दर्शनीय बना रहा है।
कान्हा टाइगर रिज़र्व में बारहसिंगा लगभग विलुप्त हो चुका था।
लेकिन रंजीतसिंह ने हार नहीं मानी।
उनकी रणनीति और नेतृत्व ने बारहसिंगा को फिर से कान्हा की शान बना दिया।
आज MP Jungle Safari के यात्री इन्हें कान्हा के घास के मैदानों में देख पाते हैं —
और यह दृश्य रंजीतसिंह की दूरदृष्टि की देन है।
कूनो नेशनल पार्क अब भारत का एकमात्र घर है उन चीतों का,
जो अफ्रीका से लाए गए। लेकिन इसका बीज बोया गया था दशकों पहले,
रंजीतसिंह के मन में —
जब उन्होंने सरकार को भारत में चीतों की वापसी का सुझाव दिया था।
आज, जब कोई MP Jungle Safari के ज़रिए कूनो जाता है,
तो वो सिर्फ चीता नहीं देखता —
एक सपना देखता है, जो पचास साल में सच हुआ है।
“जंगलों को बचाना सिर्फ पर्यावरण नहीं, इंसानियत का सवाल है।”
जब जंगल कटते हैं, तो सिर्फ पेड़ नहीं गिरते —
हमारी नैतिकता, हमारी आत्मा, और हमारी इंसानियत गिरती है।
MP Jungle Safari का हर अनुभव
रंजीतसिंह की सोच से प्रेरित है —
कि जंगलों को देखना, समझना और महसूस करना मानवता का हिस्सा है।
हम जब किसी सफारी में जंगल की हवा में सांस लेते हैं,
तो वो सिर्फ हवा नहीं होती —
वो इतिहास, सेवा और उम्मीद से भरी होती है।
उन्होंने हमें याद दिलाया कि:
“Being human is not enough; we must act human.”
उन्होंने हमें दिखाया कि सच्ची शक्ति दहाड़ में नहीं, दया में होती है।
उन्होंने हमें सिखाया कि जंगलों को बचाना,
खुद को बचाना है।
क्या आप भी जंगलों की उस गहराई को महसूस करना चाहते हैं?
क्या आप सिर्फ घूमना नहीं, कुछ समझना और बचाना चाहते हैं?
तो आइए MP Jungle Safari पर, जहाँ हर सफारी में रंजीतसिंह जैसी आत्मा की झलक मिलती है।