August 28, 2025
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Cheetah Man एम.के. रंजीतसिंह: जिसने हमें सिखाया, इंसान वही जो धरती का रखवाला बने

  • August 8, 2025
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“कभी किसी ने जंगलों को बचाने के लिए अपना राजपाट छोड़ा है?” अगर यह सवाल किसी पर खरा उतरता है — तो वह हैं एम.के. रंजीतसिंह, भारत के

“कभी किसी ने जंगलों को बचाने के लिए अपना राजपाट छोड़ा है?”
अगर यह सवाल किसी पर खरा उतरता है — तो वह हैं एम.के. रंजीतसिंह, भारत के ‘Cheetah Man’।

उनकी कहानी सिर्फ इतिहास नहीं,
MP Jungle Safari जैसे प्रयासों की प्रेरणा है —
जहाँ हर सफ़ारी सिर्फ एक ट्रिप नहीं, बल्कि जंगलों से जुड़ाव की यात्रा होती है।

"Dr. M. K. Ranjitsinh, pioneer of wildlife conservation in India, standing in front of a tiger portrait"

राजसी खून, लेकिन एक इंसानी दिल

रंजीतसिंह एक ऐसे दौर में पैदा हुए जहाँ जंगलों को सिर्फ संसाधन माना जाता था।
लेकिन उन्होंने जंगलों को जीव माना।
जहाँ लोग जंगल से लेने में व्यस्त थे, वो जंगल को देने में लगे थे।

“जब इंसान जंगलों से रिश्ता तोड़ लेता है,
तो वो खुद अपने भविष्य से रिश्ता तोड़ लेता है।”

1972: जब भारत की वन्यजीव रक्षा को मिला आधार

रंजीतसिंह ने भारत के लिए बनाया –
Wildlife Protection Act, 1972
आज जो मध्यप्रदेश के कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, सतपुड़ा जैसे जंगलों में
बाघ, बारहसिंगा, तेंदुआ और अब चीते निडर होकर घूमते हैं —
वो इसी कानून की छाया में संभव है।

और MP Jungle Safari इन जंगलों की उसी विरासत को सुरक्षित और दर्शनीय बना  रहा है।

बारहसिंगा की वापसी – कान्हा की आत्मा को बचाना

कान्हा टाइगर रिज़र्व में बारहसिंगा लगभग विलुप्त हो चुका था।
लेकिन रंजीतसिंह ने हार नहीं मानी।
उनकी रणनीति और नेतृत्व ने बारहसिंगा को फिर से कान्हा की शान बना दिया।

आज MP Jungle Safari के यात्री इन्हें कान्हा के घास के मैदानों में देख पाते हैं —
और यह दृश्य रंजीतसिंह की दूरदृष्टि की देन है।

Project Cheetah: रंजीतसिंह का सपना, कूनो की हकीकत

कूनो नेशनल पार्क अब भारत का एकमात्र घर है उन चीतों का,
जो अफ्रीका से लाए गए। लेकिन इसका बीज बोया गया था दशकों पहले,
रंजीतसिंह के मन में —
जब उन्होंने सरकार को भारत में चीतों की वापसी का सुझाव दिया था।

आज, जब कोई MP Jungle Safari के ज़रिए कूनो जाता है,
तो वो सिर्फ चीता नहीं देखता —
एक सपना देखता है, जो पचास साल में सच हुआ है।

हर जंगल, हर पेड़, हर जानवर – हमारे अस्तित्व का हिस्सा है

          “जंगलों को बचाना सिर्फ पर्यावरण नहीं, इंसानियत का सवाल है।”

जब जंगल कटते हैं, तो सिर्फ पेड़ नहीं गिरते
हमारी नैतिकता, हमारी आत्मा, और हमारी इंसानियत गिरती है।

Jungle Safari: अब सिर्फ पर्यटन नहीं, प्रकृति से जुड़ाव है

MP Jungle Safari का हर अनुभव
रंजीतसिंह की सोच से प्रेरित है
कि जंगलों को देखना, समझना और महसूस करना मानवता का हिस्सा है।

हम जब किसी सफारी में जंगल की हवा में सांस लेते हैं,
तो वो सिर्फ हवा नहीं होती —
वो इतिहास, सेवा और उम्मीद से भरी होती है।

इसलिए रंजीतसिंह सिर्फ वन अधिकारी नहीं थे — वो इंसान के कर्तव्य का आइना थे।

उन्होंने हमें याद दिलाया कि:
“Being human is not enough; we must act human.”

उन्होंने हमें दिखाया कि सच्ची शक्ति दहाड़ में नहीं, दया में होती है।

उन्होंने हमें सिखाया कि जंगलों को बचाना,
खुद को बचाना है।

अब आपकी बारी है

क्या आप भी जंगलों की उस गहराई को महसूस करना चाहते हैं?
क्या आप सिर्फ घूमना नहीं, कुछ समझना और बचाना चाहते हैं?

तो आइए MP Jungle Safari पर, जहाँ हर सफारी में रंजीतसिंह जैसी आत्मा की   झलक मिलती है।

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