लेडी ऑफ द लेक” – मछली: एक बाघिन नहीं, एक रानी थी वो
- August 7, 2025
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रणथंभौर की वादियों में एक ऐसी बाघिन ने जन्म लिया, जिसने न सिर्फ जंगल पर राज किया बल्कि इंसानों के दिलों में भी अमर हो गई। मछली, जिसे
रणथंभौर की वादियों में एक ऐसी बाघिन ने जन्म लिया, जिसने न सिर्फ जंगल पर राज किया बल्कि इंसानों के दिलों में भी अमर हो गई। मछली, जिसे
रणथंभौर की वादियों में एक ऐसी बाघिन ने जन्म लिया, जिसने न सिर्फ जंगल पर राज किया बल्कि इंसानों के दिलों में भी अमर हो गई। मछली, जिसे प्रेम से ‘लेडी ऑफ द लेक’ और ‘क्वीन ऑफ रणथंभौर’ कहा जाता है, आज भी वाइल्डलाइफ प्रेमियों और फ़ोटोग्राफ़रों की यादों में ज़िंदा है।
राजबाग झील के पास उसकी मौजूदगी और वहां उसका आराम फरमाना इतना आम था कि लोग उसे Lake Queen कहने लगे। मछली को पानी से बेहद लगाव था, और उसकी ख़ूबसूरत झीलों में तैरती हुई तस्वीरें आज भी इंटरनेट पर वायरल होती हैं।
मछली न केवल एक शानदार शिकारी थी, बल्कि उसने 11 शावकों को जन्म देकर अपनी विरासत भी छोड़ी — जो आज रणथंभौर, सरिस्का और अन्य बाघ अभयारण्यों में देखे जाते हैं।
मछली के किस्सों में सबसे चर्चित कहानी है —
जब उसने एक बड़े मगरमच्छ से अकेले भिड़कर उसे हरा दिया।यह उसकी निडरता और जंगल पर पकड़ का सबसे बड़ा प्रमाण है।
हर टूरिस्ट चाहता था उसे एक बार लाइव देखना। वह रणथंभौर टाइगर सफारी की सबसे बड़ी पहचान बन चुकी थी।
2016 में मछली ने आखिरी साँस ली।
लेकिन उसका सफर यहीं नहीं थमा —
उसकी संतानों ने उसकी विरासत को आगे बढ़ाया।
आज भी रणथंभौर की हर झील, हर पेड़ और हर जंगल उसकी कहानी कहता है।
मछली हमें सिखाती है कि आप चाहे जंगल में हों या जीवन की किसी चुनौती में —
अगर हिम्मत है, तो आप रानी बन सकते हैं।
आज जब हम जंगलों की रक्षा, पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीवों के अधिकारों की बात करते हैं, तब मछली की कहानी एक आइकन बनकर सामने आती है। उसकी यात्रा हमें सिखाती है कि एक जानवर भी पूरी दुनिया को बदल सकता है — अपनी सुंदरता, शक्ति और दयालुता से।
तो वहां की मिट्टी में मछली की गूंज आज भी है।🔗 अब रणथंभौर सफारी बुक करें @ mpjunglesafari.com
देखिए उस जंगल को, जिसकी रानी कभी मछली थी।